Introduction
मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, और तेलंगाना में केंद्र सरकार ने सोयाबीन की खरीद को हमीभाव पर मंजूरी दी है। यह मूल्य ₹4892 प्रति क्विंटल रखा गया है, लेकिन मध्यप्रदेश के किसान इस पर संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि सरकार को सोयाबीन की खरीद ₹6000 प्रति क्विंटल पर करनी चाहिए या फिर हमीभाव पर बोनस के रूप में ₹1100 देने चाहिए। इस मांग को लेकर मध्यप्रदेश में किसानों ने बड़े स्तर पर आंदोलन छेड़ दिया है।
1. मध्यप्रदेश के किसान हमीभाव से नाखुश
- किसान ₹4892 की हमीभाव से संतुष्ट नहीं हैं।
- वे सोयाबीन का न्यूनतम मूल्य ₹6000 चाहते हैं।
2. आंदोलन का आगाज़
- मध्यप्रदेश में किसान 16 सितंबर से आंदोलन कर रहे हैं।
- यह आंदोलन 30 सितंबर तक चलेगा।
3. किसानों की मांग: बोनस या बढ़ा हुआ मूल्य
- हमीभाव पर ₹1100 का बोनस देने की मांग की गई है।
- सरकार के फैसले के खिलाफ लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं।
4. खंडवा में ट्रैक्टर मार्च
- खंडवा जिले में 7 किमी लंबा ट्रैक्टर मार्च आयोजित किया गया।
- इसमें लगभग 7000 किसान और 500 ट्रैक्टर शामिल हुए।
5. मध्यप्रदेश में विरोध बढ़ा
- किसानों ने राज्यभर में प्रदर्शन और चक्काजाम की योजना बनाई है।
- 20 से 30 सितंबर तक विभिन्न आंदोलन किए जाएंगे।
6. संयुक्त किसान मोर्चा का समर्थन
- 55 किसान संगठनों ने संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में समर्थन दिया।
- 30 सितंबर को भोपाल में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन आयोजित होगा।
7. महाराष्ट्र के किसान अब भी शांत
- मध्यप्रदेश के मुकाबले महाराष्ट्र में किसानों ने अभी तक कोई बड़ा आंदोलन नहीं किया।
- हालांकि, महाराष्ट्र भी सोयाबीन उत्पादन का बड़ा केंद्र है।
8. सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश
- आंदोलन से सरकार पर दबाव बढ़ रहा है।
- चुनावी माहौल में सरकार पर किसानों की मांग मानने का दबाव है।
9. क्या महाराष्ट्र भी आंदोलन करेगा?
- यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या महाराष्ट्र के किसान भी इस आंदोलन में शामिल होते हैं।
- इससे सरकार पर दबाव बढ़ सकता है।
10. केंद्र सरकार का रुख
- केंद्र सरकार ने अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है।
- किसानों की मांगों को स्वीकार करने की संभावना जताई जा रही है।
Conclusion
मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के किसान सोयाबीन की कीमतों को लेकर बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि सरकार द्वारा घोषित हमीभाव उनकी लागत को पूरा करने में सक्षम नहीं है। ऐसे में, सरकार को किसानों की मांगों पर विचार करना चाहिए, ताकि उनकी स्थिति में सुधार हो सके और कृषि क्षेत्र में स्थिरता आ सके।